हमारे भारतवर्ष में तरह-तरह के त्योहारों को मनाया जाता है लेकिन इन सभी त्योहारों में दिवाली का सामाजिक एवं धार्मिक दोनों दृष्टि से बहुत अधिक महत्व है।
इस पर्व को हिंदुओं के अतिरिक्त सिख बौद्ध एवं जैन धर्म के लोग भी बड़ी धूमधाम से बनाते हैं।
दिवाली स्वच्छता व प्रकाश का पर्व है परंतु अधिकांश लोग दिवाली क्यों मनाई जाती है, इसका महत्त्व क्या है? के बारे में नहीं जानते हैं।
असल में जैन धर्म के लोग इसे महावीर के मोक्ष दिवस के रूप में तथा सिख समुदाय बंदी छोड़ दिवस के रुप में मनाते हैं।
हिंदू मान्यताओं के अनुसार दिवाली के दिन भगवान श्री राम 14 वर्ष का वनवास व्यतीत करने के पश्चात अयोध्या वापस लौटे थे।
उस रात सघन काली अमावस्या थी श्री राम के अयोध्या वापस आने की खुशी में सभी अयोध्या वासियों ने घी के दिए जलाए थे।
जिसकी वजह से अमावस की काली रात दीपक के उजालों से जगमग उठी थी तब से ही हमारे देश में हर साल दिवाली का त्यौहार हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।
दिवाली की तैयारी घरों में कई सप्ताह से ही शुरू हो जाती है इस पर्व के आने से पहले लोग अपने घरों दुकानों की सफाई मरम्मत और रंग कराने लगते हैं।
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