भारत एक कृषि प्रधान देश है। क्योंकि एक मात्र भारत में 15 जलवायुविक क्षेत्र पाये जाते है। इसलिए कृषि को भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ कहा जाता है।

लेकिन पिछले कुछ वर्षों से किसानों द्वारा कृषि की उत्पादन क्षमता में वृद्धि करने के लिए तरह – तरह की रासायनिक दवाइयों को प्रयोग में लाया जा रहा है।

जिससे उगायी गयी फसलों का सेवन करना मनुष्य स्वस्थ्य के लिए हानिकारक है और इससे कृषि योग्य फसल भी बंजर होती है। इसलिए अब किसानों को जैविक तरीके से कृषि करने के लिए प्रोहत्साहित किया जा रहा है।

जिसके लिए केंद्र सरकार द्वारा परम्परागत कृषि विकास योजना को शुरू किया है। जिसके अंतर्गत जैविक तरीकों का उपयोग करके कृषि करने वाले किसानों को आर्थिक सहायता प्रदान की जायेगी

परम्परागत कृषि विकास योजना किसानों को जैविक तरीक़े से कृषि करने के लिए प्रोहत्साहित करने के लिए शुरू की प्रोहत्साहित योजना है।

जिससे मिट्टी की ओर उर्वरता में वृद्धि होगी और किसानों को उत्पादन क्षमता में वृद्धि करने वाली रासायनिक दवाइयों का भी उपयोग नहीं करना होगा

इस योजना के अंतर्गत मूल्यवर्धन और विपरण के लिए प्रति हेक्टेयर ₹50,000 तीन वर्ष के लिए आर्थिक सहायता प्रदान की जायेगी और इस योजना के अंतर्गत अब तक 4 वर्षों में ₹1197 करोड़ रुपये का व्यय किया जा चुका है।

इस योजना के अंतर्गत किसानों को जैविक खेती के बारे में प्रशिक्षित कर उन्हें जैविक खेती करने के लिए प्रोत्साहन किया जाएगा।

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