दोस्तों, आइए अब जान लेते हैं कि नो पोचिंग एग्रीमेंट क्या है? यह तो आप जानते ही हैं कि पोचिंग (poaching) का शाब्दिक अर्थ शिकार करना होता है। कई बार लालच देकर शिकार किया जाता है।
ऐसे में बात व्यवसाय जगत से संबंधित है तो इसे कर्मचारियों के शिकार अर्थात उन्हें पद, पैसे का लालच देकर हायर करने से लगाया जाता है।
आपको बता दें कि यह एक लिखित स्वीकृति पत्र होता है। इस एग्रीमेंट के तहत एक ही क्षेत्र में कार्यरत दो कंपनियां एक-दूसरे के कर्मचारियों को अपनी कंपनियों में नौकरी नहीं देतीं।
सामान्य शब्दों में कहें तो नो पोचिंग एग्रीमेंट दो कंपनियों के बीच एक दूसरे के कर्मचारियों को नौकरी न देने को लेकर होने वाला स्वीकृति पत्र है।
दूसरी कंपनी में जाकर वे पहली कंपनी को इनके आधार पर नुकसान पहुंचा सकते हैं। लिहाजा, नो पोचिंग एग्रीमेंट दो कंपनियों का एक दूसरे को नुक़सान से बचाने का एक तरीका है।
दोस्तों, हाल ही में भारत में गौतम अडाणी के नेतृत्व वाला अडाणी ग्रुप एवं मुकेश अंबानी की अगुवाई वाली रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के बीच एक ‘नो पोचिंग एग्रीमेंट’ हुआ है,
जिसके बाद से यह टर्म लगातार चर्चा में है। दरअसल, ये दोनों ग्रुप अब एक-दूसरे के क्षेत्र में प्रवेश कर रहे हैं। पेट्रोकेमिकल क्षेत्र में रिलायंस ग्रुप का दबदबा है,
लेकिन पिछले वर्ष ही अडाणी समूह ने अडाणी पेट्रोकेमिकल्स लिमिटेड के साथ पेट्रोकेमिकल के क्षेत्र में प्रवेश करने की घोषणा की है।
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