आज के इस लेख को पढ़ कर आपको यह भलीभांति अनुमान हो जाएगा कि वर्ष में दो बार हनुमान जयंती मनाने का क्या औचित्य है
हिंदू धर्म में जब भी हम किसी देवता या ईश्वर के मानव स्वरुप या किसी महापुरुष के जन्म को सेलिब्रेट करते हैं तो उसे जयंती नाम से संबोधित किया (Hanuman jayanti kya hai) जाता है।
हालाँकि कई बार इसमें उस माह की तिथि को जोड़ दिया जाता है जैसे कि गणेश चतुर्थी, कृष्ण जन्माष्टमी इत्यादि। किंतु जो जयंती पूर्णिमा या अमावस्या के दिन पड़ती है उन्हें केवल जयंती कह कर ही संबोधित किया जाता है।
यही कारण है की हनुमान जयंती को भी केवल हनुमान जयंती कह कर ही संबोधित किया जाता है और इसमें कोई तिथि नही जोड़ी गयी है।
हनुमान जयंती वाले दिन इन्हीं हनुमान जी का जन्म हुआ था जिनके माता पिता का नाम अंजनी व केसरी था। अंजनी को बहुत ही कठिन तपस्या के बाद पुत्र रूप में हनुमान की प्राप्ति हुई थी जो बहुत ही शक्तिशाली था।
बस उसी दिन के उपलक्ष्य में हम सभी आज तक हनुमान जयंती का त्यौहार बहुत ही धूमधाम के साथ मनाते आ रहे हैं।
वाल्मीकि रामायण के अनुसार हनुमान जी का जन्म कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन हुआ था। तो उसी रामायण को आधार मान कर बहुत लोग हनुमान जी की जयंती को इस दिन मनाते हैं।
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