यहाँ पर हम आपके सामने हनुमान चालीसा तो रखेंगे ही रखेंगे बल्कि साथ के साथ उनका अर्थ भी समझाएंगे। अब जो भी चालीसा होती है उसमे 40 श्लोक होते हैं और इसी कारण उसे चालीसा कहा जाता (Hanuman chalisa Hindi arth sahit) है।

अब वह चालीसा जिस भी भगवान को समर्पित होती है, तो उसकी शुरुआत में उस भगवान का नाम जुड़ जाता है तो वह उस भगवान की चालीसा बन जाती है।

मैं श्री गुरु अर्थात हनुमान जी की चरणों की धूल से अपने मन को पवित्र करता हूँ और उसको पूर्ण रूप से शुद्ध करता हूँ। मैं उन भगवान की स्तुति करता हूँ जो हमें चारों फल अर्थात धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष को प्रदान करते हैं और हमारा उद्धार करते हैं।

हे भगवान हनुमान, आपको तो पता ही हैं कि मैं इतना ज्ञानी नहीं हूँ और ना ही मुझमे इतनी शक्ति हैं, इसलिए मुझे दीन हीन समझ कर मुझे शक्ति प्रदान कीजिए। मैं आपका ही सुमिरन करता हूँ और आप मेरे सभी कष्टों को दूर करके मेरा उद्धार कर दीजिए।

जय हनुमान ज्ञान गुन सागर | जय कपीस तिहुँ लोक उजागर ॥

हे भगवान हनुमान आपकी जय हो, आपकी जय हो, आप तो ज्ञान के अथाह सागर है अर्थात आपके अंदर ज्ञान भरा पड़ा है। हे कपीश्वर अर्थात बंदर रुपी भगवान, आपके प्रकाश से ही तीनों लोक अर्थात स्वर्ग लोक, पाताल लोक व पृथ्वी लोक प्रकाशमान होते हैं।

राम दूत अतुलित बल धामा । अंजनि पुत्र पवनसुत नामा ॥

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