इसे माल को भेजने वाले के द्वारा, प्राप्त करने वाले के द्वारा या ट्रांसपोर्टर के द्वारा कंप्यूटर पर बनाया जाता है। इसे ऑनलाइन कॉमन पोर्टल पर, एप से, एसएमएस के माध्यम से बनाया जा सकता है।
मुख्य रूप से ई-वे बिल को तब बनाया जाता है, जब माल को एक राज्य से दूसरे राज्य में ले जाया जाए और माल की कीमत 50,000 से अधिक हो।
ऐसा इसलिए होता है क्योंकि जीएसटी ऐसा टैक्स है जो उस राज्य सरकार को मिलता है जहां समान या सेवा का इस्तेमाल होता है,
इसलिए ये पता होना जरूरी है कि समान किस राज्य में ले जाया जा रहा है। इसके अलावा भी बहुत सी स्थितियों में ई-वे बिल (What is e way bill in GST) बनाया जाता है, जिसकी बात हम आगे करेंगे।
जब किसी कंसाइनमेंट में 50,000 से अधिक कीमत के माल की आवाजाही की जाती है तो उस व्यक्ति के द्वारा ई-वे बिल बनाया जाना जरूरी है।
सामान्य तौर पर तो माल की आवाजाही माल भेजने वाले के द्वारा ही की जाती है, इसलिए उसके द्वारा ही ई-वे बिल बनाया जाना चाहिए।
परंतु कुछ ग्राहक अपने आप भी ट्रांसपोर्टर की व्यवस्था कर लेता है, ऐसी स्थिति में ग्राहक के द्वारा भी ई-वे बिल बनाया जा सकता है।
यहां तक कि माल को ले जाने वाले वाहन का ट्रांसपोर्टर भी ई-वे बिल (When e-way bill is mandatory in Hindi) बना सकता है।
ई-वे बिल क्या है? इसकी जरूरत कब और क्यों पड़ती है? अधिक जानकारी के लिए नीचे दिए गए लिंक पर यहां क्लिक करे ?